मंगलवार, 28 सितंबर 2010

एक नजर : अयोध्या के छ: दशक की प्रमुख घटनाओं पर

आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के शासनकाल में 23 अक्टूबर 1949 को अयोध्या में विवादित रामजन्म भूमि मंदिर में भगवान राम और लक्ष्मण आदि की मूर्ति के प्रकटीकरण के बाद मुसमानों ने काफी विरोध किया लेकिन आस्था के आगे पंडित नेहरू उन मूर्तियों को नहीं हटवा पाए जिससे दोनों पक्षों ने न्यायालय की शरण ली।
पंडित नेहरू के बाद लालबहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री बनने पर अयोध्या में कोई बड़ी घटना नहीं हुई।

श्रीमती इंदिरा गांधी के शासनकाल के उत्तरार्द्ध में विश्व हिन्दू परिषद ने मंदिर मुद्दे को लेकर अपनी सक्रियता बढ़ाई और राम जन्म भूमि यज्ञ समिति का गठन किया तथा जनकपुर से राम जानकी रथ यात्रा निकाली जिसके अयोध्या पहुंचने पर उसका भव्य स्वागत किया गया। सात अक्टूबर 1984 को अयोध्या से लखनऊ तक पद यात्रा निकाल कर जनजागरण का काम शुरू किया गया लेकिन श्रीमती गांधी की हत्या के बाद कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया। राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने पर एक बार फिर विहिप की सक्रियता बढ़ी और 21 अक्टूबर 1985 को पूरे प्रदेश में रक्षा राम जानकी रथ यात्रा निकाली जिसे व्यापक जन सर्मथन मिला। धर्माचार्यों ने धर्मसंसद का आयोजन कर निर्णय किया कि 8 मार्च 1986 को सभी रथ अयोध्या पहुंचेंगे तथा उसी दिन रामभक्त रामजन्म भूमि को मुक्त कराएंगे। किन्तु इससे पहले ही 25 जनवरी 1986 को एक स्थानीय अधिवक्ता उमेश पांडेय ने अदालत में याचिका दायर कर ताला खोलने की मांग की थी।

जिला जज कृष्ण मोहन पांडेय ने एक फरवरी 1986 को ताला खोलने की अनुमति दे दी। उसी दिन शाम 5.20 बजे भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच ताला खोल दिया गया। 37 वर्षों बाद ताला खुलने की खबर चारों तरफ दावानल की भांति फैल गई। एक सप्ताह तक अयोध्या में खुशी से लोग दीवाली मनाते रहे। 1989 में विहिप ने पूरे देश के तीन लाख गांवों में शिलापूजन कार्यक्रम कर 9 नवंबर 1989 को मंदिर स्थल पर शिलान्यास कार्यक्रम की घोषणा की। देश भर से रामभक्त अयोध्या पहुंचे। रामभक्तों और सुरक्षाबलों में टकराव से पहले ही सरकार ने शिलान्यास की अनुमति दी। इलाहाबाद कुंभ मेले में संतो की धर्मसंसद में निर्णय हुआ कि 30 अक्टूबर1990 को मंदिर निर्माण के लिए कारसेवा की जाएगी इससे पूर्व जनसर्मथन हेतु दीवाली के अवसर पर अयोध्या से राम दीप यात्रा निकाली जाए और उसी दीप से घर-घर में दीपावली के दिन लोग दीप जलाएं।
सितंबर 1990 में ही तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा निकाली। पूरे देश में राम लहर पैदा करने की कोशिश की। बिहार में आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद केंद्र में भाजपा सर्मथन पर टिकी वी पी सिंह की सरकार गिर गई।

1990 में पहली बार अयोध्या में परिक्रमा पर मुलायम सरकार ने रोक लगाई। सुरक्षा व्यवस्था को धता बताकर हजारों कारसेवक अयोध्या पहुंचे। 30 अक्टूबर को कारसेवकों का जत्था रामजन्म भूमि की तरफ रवाना। विवादित परिसर के पास सुरक्षाबलों की गोलियों के कई कारसेवक शिकार हुए। पूरी अयोध्या में अघोषित कर्फ्यू के दौरान 2 नवंबर को फिर कारसेवकों का दल रामजन्म भूमि की तरफ बढ़ा लेकिन पहले से तैयार सुरक्षाबलों ने किया बल प्रयोग। गोलीबारी में कई कारसेवकों की मौत, सैकड़ों घायल। 4 अप्रैल 1991 को दिल्ली में वोट क्लब पर विहिप की विशाल जनसभा उसी दिन उप्र सरकार के मुखिया मुलायम सिंह का इस्तीफा। उप्र विधानसभा चुनाव में भाजपा को पहली बार मिली सफलता।

1992 में विहिप ने फिर शुरू किया पूरे प्रदेश में श्रीराम चरण पादुका कार्यक्रम के तहत जनजागरण। 6 दिसंबर 1992 को पुन: कारसेवा की घोषणा हजारों कारसेवक अयोध्या पहुंचे। निर्धारित समय पर कारसेवा शुरू और देखते ही देखते विवादित ढांचा ध्वस्त। उसी दिन शाम को मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने दिया त्यागपत्र। उप्र में लगा राष्टÑपति शासन। भाजपा शासित अन्य प्रदेशों की सरकारें भी बर्खास्त। इंद्र कुमार गुजराल और देवगौड़ा के शासनकाल में कोई विशेष कार्यक्रम नहीं हुए हां चन्द्रशेखर के प्रधानमंत्री बनने पर मंदिर मुद्दा सुलझाने का कुछ प्रयास जरूर पर सफलता नहीं मिली। केंद्र में जब पहली बार भाजपा गठबंधन की सरकर बनी तो प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई से विहिप ने मंदिर की भूमि रामजन्म भूमि न्यास को सौंपने को कहा लेकिन वाजपेई का इंकार। 2010 हरिद्वार में आयोजित कुंभ मेला में एक बार फिर संतों की बैठक। मंदिर निर्माण के लिए जनसर्मथन जुटाने हेतु पूरे देश में 16 अगस्त से 15 नवंबर तक गांव-गांव हनुमत शक्ति जागरण कार्यक्रम के तहत हनुमान चालीसा क ा पाठ गांवों में चल रहा है। इसके बाद जगह-जगह यज्ञ का कार्यक्रम करने की योजना विहिप बना रही है।

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