गुरुवार, 21 अक्तूबर 2010

गांवों में बनने वाले खेल मैदान में ‘खेल’

राम आशीष गोस्वामी
एक तरफ भारत सरकार कॉमनवेल्थ जैसे राष्टÑमंडल खेलों का आयोजन कर पूरी दुनिया में खेलों क ो बढ़ावा देने का संदेश देती है वहीं उत्तर प्रदेश के अधिकारी दो वर्ष पूर्व जारी हुए शासनादेश को रद्दी की टोकरी में डालकर कागजों में गांवों की युवा प्रतिभा को उभार कर सरकार को कागजी शेर सौंप रहे हैं। पंचायत युवा क्रीडा और खेल अभियान (पायका) के अंतर्गत प्रदेश के 82 विकास खंडों में 5203 पंचायतों का चयन किया गया था जिनमें खेल मैदान (मिनी स्टेडियम) बनाए जाने थे, और एक-एक लाख रुपये की प्रथम किस्त भी सरकार द्वारा जारी कर दी गई थी। लेकिन क्षेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत स्तर पर खुलने वाला पायका निधि का खाता ही नहीं खोला जा सका जिससे यह पैसा अधिकतर जिलों पर ही पड़ा हुआ है। और सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना धरासाई होती दिखाई पड़ रही है। सरकार ने गांवों में युवा खिलाड़ियों की प्रतिभा को देश-प्रदेश स्तर पर उभारने तथा भारतीय खेलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्ष 2017 तक देश के सभी ग्राम पंचायतों में खेल मैदान (मिनी स्टेडियम) की स्थापना और क्रीडा श्री की नियुक्ति करने की योजना दो वर्ष पूर्व तैयार की थी। जिसे मूर्तरूप देने के लिए 27 मई 2008 को शासनादेश जारी करके रास्ता साफ कर दिया गया था। युवा क्रीड़ा और खेल अभियान (पायका) के अंतर्गत इस योजना के कार्यान्वयन की पूर्ण जिम्मेदारी सभी जिलों में युवा कल्याण अधिकारियों को सौंपी गई थी। किंतु एक वर्ष बीतने के बाद भी किसी अधिकारी के कान पर जब जूं तक नहीं रेंगा तब डॉ. एस एस सिंह महानिदेशक प्रांतीय रक्षक दल, विकास दल एवं युवा कल्याण उप्र लखनऊ ने प्रदेश के समस्त जिलाधिकारियों को 23 मई 2009 को पत्र देकर 3 जून 2009 तक खाता खोले जाने की सूचना के साथ ही कार्य योजना की सी डी मांगी थी। लेकिन इस पत्र की आवाज भी नक्कार खाने में तूती की आवाज की तरह दब कर रह गई।
सूत्रों का कहना है कि 27 मार्च 2009 को जारी शासनादेश संख्या 982/ पचास-यु.क.-2009-178(विविध) 07 टी सी के अंतर्गत स्पष्ट किया गया था, जिसके आधार पर राजन शुक्ला सचिव खेल कूद एवं युवा कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश शासन ने महानिदेशक प्रांतीय रक्षक दल एवं विकास दल व युवा कल्याण उत्तर प्रदेश को लिखा था कि ग्राम पंचायत स्तर पर क्रियान्वयन एजेंसी में ग्राम प्रधान, क्षेत्रीय युवा कल्याण अधिकारी, क्रीडा श्री , युवक / महिला मंगलदल के अध्यक्ष और प्राइमरी / जूनियर हाई स्कूल के हेड मास्टर होंगे। इसी तरह क्षेत्र पंचायत स्तर पर क्रियान्वयन एजेंसी में ब्लाक प्रमुख अथवा खेल में रुचि रखने वाला क्षेत्र पंचायत सदस्य जिसे ब्लाक प्रमुख ने नामित किया हो। इसके अलावा जिला युुवा कल्याण अधिकारी, सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी, विकास खंड अंतर्गत इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य, क्रीडा श्री तथा उस क्षेत्र का एक निवासी जो कम से कम जिला स्तरीय खिलाड़ी रहा हो। साथ ही दोनों समितियों में एक-एक महिला सदस्य भी रहेंगी।
खेलों के बारे में भी कहा गया था कि एथलेटिक्स, तैराकी, जिमनास्टिक, बैडमिंटन,टेविल टेनिस, साइकिलिंग,आर्चरी, ब्रूशू, ताइक्वाण्डो, भारोत्तोलन, बॉसिंग, जूड़ो, कु श्ती, कबड्डी, खो-खो, हॉकी, फुटबाल, वालीवाल, बास्केटबाल, एवं हैण्डबाल के खेल आयोजित कराए जाएंगे। जिसमें से 10 खेलों का चयन जिला स्तर पर , पांच खेलों का चयन ब्लाक स्तर पर और ग्राम पंचायत स्तर पर एथलेटिक्स की अनिवार्यता के साथ किन्ही चार खेलों के चयन हेतु जिला स्तरीय कार्यकारी समिति को अधिकृत किया गया था। क्रीड़ा श्री की नियुक्ति के लिए भी स्पष्ट दिशा निर्देश दिया गया था। इसके अलावा ग्राम स्तर पर ‘ग्राम पायका निधि’ और ब्लाक स्तर पर ‘क्षेत्र पंचायत पायका निधि’ के नाम से खाता खोला जाना और जमीन के चिन्हीकरण को भी कहा गया था। लेकिन वाह रे व्यवस्था दो वर्ष से ऊपर का समय बीत गया और प्रथम चरण 2008-09 में चयनित ग्राम पंचायतों में न तो खाता खुल सका और न ही जमीनों की व्यवस्था ही की जा सकी। क्रीड़ा श्री की नियुक्ति भी खटाई में पड़ गई। जिसके कारण मिनी स्टेडियम का निर्माण अधर में ही लटका हुआ है। और प्रथम किस्त का पैसा जिलों पर पड़ा हुआ है। फिर 2009-10 में चयनित ग्राम पंचायतों की क्या व्यवस्था होगी इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। कुछ विशेष सूत्रों का मानना है कि मिनी स्टेडियम निर्माण में प्रधानों को कोई लाभ नहीं होने वाला था इसलिए उन्होंने इसके निर्माण में कोई दिलचस्पी नहीं ली वहीं जिम्मेदार अधिकारी भी सिर्फ कागजी घोंड़ा दौड़ाते रहे जबकि भौतिक धरातल पर कार्य की प्रगति शून्य ही रही। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि इसी तरह से गांवों क ी युवा प्रतिभा को निखार कर देश-प्रदेश स्तर पर उभारा जाएगा और सरकार की अतिमहत्वाकांक्षी योजना को कार्यान्वित किया जाएगा।

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